राष्ट्रपति के अभिभाषण में इस बात का जिक्र किया गया कि सरकार ने एक दलित महिला मीरा कुमार को लोकसभा अध्यक्ष बना दिया, जिससे लोकतंत्र का मान बढ़ा है।
भारत में दलितों को पद प्रतिष्ठा और सम्मान देने की होड़ सी लग गई है। खासकर मायावती के शक्तिशाली होने के बाद तो जैसे राजनीतिक पार्टियों को लगता है कि सोया हुआ जिन्न जाग गया है। कांग्रेस पार्टी ने मीरा कुमार को लोकसभा अध्यक्ष बना दिया। शपथ ग्रहण के समय सोनिया के चेहरे की मुस्कराहट जाहिर कर रही थी कि वह विजयी मुस्कान है। बड़ा दुख होता है कि मीरा कुमार के लोकसभा अध्यक्ष बनने के बाद सत्तासीन पार्टी कहते फिर रही है कि दलित.को अध्यक्ष बना दिया। दलित और उनके जाति के संबोधन को भारतीय समाज में गालियों की तरह ही लिया जाता है। अब मीरा को इतनी बार दलित कहा जा रहा है कि वे इस एहसान से दब जाएंगी कि ऐसा लगता है कि बगैर किसी योग्यता के दलित होने के चलते ही उन्हें यह पद मिल गया है। हालांकि उनका पिछला इतिहास देखा जाए तो हर मौके पर उन्होंने अपनी योग्यता साबित की है।अब सवाल यह उठता है कि लोकसभाध्यक्ष पद पर बैठाने के बाद, बार बार दलित का नारा लगाने और ऐसा किया, यह जताने के बाद कोई पार्टी दलितों के दिल में जगह बना सकती है? क्या इस तरह से मायावती के राजनीतिक कद का सामना किया जा सकता है? वैसे भी मीरा कुमार ने अपनी ताकत से यह पद नहीं हासिल किया, बल्कि उनके पीछे पूर्व कांग्रेसी दिग्गज जगजीवन राम का बैक अप है। भले ही मीरा कुमार योग्य हैं, लेकिन क्या जनता उन्हें दिल से अपना नेता स्वीकार कर पाएगी, कि लोकतंत्र के ताकतवर होने की वजह से एक वंचित तबके की महिला को सम्मान मिला है??
6 comments:
sachmuch ye ek bidambana hi hai...
sabkuch hote huye bhi "DALIT" ka thappa jarur lag gaya...
ये तो सोचने की बात है।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
कांग्रेस मे जिसे भी पद मिलता है वह सोनिया जी की कृपा से ही मिलता है।वास्तव में यह पद दलित को मायावती की काट के लिए दिया गया है ताकि यह कहने को हो जाए कि हम भी दलितो के बारे में बहुत कुछ कर रहे हैं।
यह लज्जाजनक है। या तो मीरा जी की योग्यता के कारण पद दीजिए या फिर दलित होने का गान न करें। वे बहुत से अन्य नेताओं से अधिक पढ़ी लिखी व पुरानी नेता हैं। वे राजनीति में इसलिए नहीं आईं क्योंकि उनके पास कोई अन्य विकल्प नहीं था। उन्हें पद दिया गया तो एहसान नहीं किया गया।
घुघूती बासूती
वे दलित हैं, इसलिए , या करोडपति हैं इसलिए या एक पूर्व उप-प्रधानमंत्री कि पुत्री है इस लिए या एक निष्ठावान कार्यकर्ता है इसलिए या एक सक्षम सूझबूझ की महिला है इसलिए या फिर यह जताने के लिए कि किसी भी नहले-दहले को पदासीन करने की क्षमता रखनेवाले नेता हैं, यह प्रमाणित करने के लिए मीराजी को अध्यक्ष पद दिया गया????????
हालांकि उनका पिछला इतिहास देखा जाए तो हर मौके पर उन्होंने अपनी योग्यता साबित की है।.........वैसे भी मीरा कुमार ने अपनी ताकत से यह पद नहीं हासिल किया, बल्कि उनके पीछे पूर्व कांग्रेसी दिग्गज जगजीवन राम का बैक अप है।
Kul milakar is mudde par aap khud bahut cnfusiaye hue dikh rahe hai n bhai...pravchan ki bimari se mukt hokar dekhiye...meera ji ko Dalit hone ke karan hi yeh pad diya gaya hai, nahi to unse behtar neta Congress mein hain.
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